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लेखनी स्वैच्छिक कविता

जब वापस लौट कर आओगी तो पुछूंगा
कि जब रूठा था मैं तो मनाया क्यूँ नही ?

जानती थी कि उम्र के नादान दौर में था,
तो पास बैठा कर मुझे समझाया क्यूं नहीं?

हर बार कहती थी बहुत प्यार है तुमसे,
तो फिर वक्त आने पर जताया क्यूं नहीं?

गलतफहमी में खड़ा था मुंह फेर के जब,
तो पास बुलाकर सीने से लगाया क्यूँ नही?

हां पकड़ कर तेरे हाथ पुछूंगा जरुर तुमसे,
कि हक मुझ पर तुमने जताया क्यूँ नही?

प्रेम के धागे का एक सिरा तेरे पास भी था,
उलझा था गर मुझसे तो सुलझाया क्यूँ नही?

अगर तुम्हें दूर जाना ही था मुझे छोड़कर,
तो मेरे दिल को दर्द सहना सिखाया क्यूं नहीं?

किया था जो उम्र भर साथ निभाने का तुमने,
वक्त आने पर वो वादा निभाया क्यूं नहीं?

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8 Comments

Gunjan Kamal

05-Feb-2023 02:14 PM

बहुत खूब

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Wahhh बहुत ही खूबसूरत रचना

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बहुत खूब

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